भारत मानव कल्याण का रास्ता दिखलाता है




हमारे देश के आदरणीय प्रधानमंत्री की ये सोच कि आतंकवाद का जवाब देना हमें आता है काबिले-तारीफ है. उनके अनुसार भारत के निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया जाता है उन देश के दुश्मनों के पास असली में युद्ध लड़ने की ताकत नहीं है. पीठ पर वार करके बार-बार हमें नेस्तोनाबूद करने की कोशिश करते हैं. मोदी जी उसी भाषा में उन्हें जवाब देते रहते हैं. उनकी कामना है कि उनका देश भारत अजर-अमर रहे. उनके देश के लोग सारी दुनिया से गर्व से कहें कि उनका देश मानव कल्याण का रास्ता दिखा सकता है. उनका आगे कहना है कि उनको अपनी स्वम् की छवि चमकाने में कोई लगाव नहीं है. हिन्दुस्तान की छवि चमकाने में उनको अपनी ज़िन्दगी खपाने की आवश्यकता है और यही काम वो कर रहे हैं.
रेलवे-स्टेशन उनकी ज़िन्दगी का एक स्वर्णिम पृष्ठ है. इसी ने उन्हें जीना सिखाया, जूझना सिखाया. वो अपनी ज़िन्दगी को अपने लिए नहीं दूसरों के लिए मानते हैं. उन्होंने रेल की पटरी पर दौड़ती हुई आवाज से सीखा कि हम सभी देश-भक्त हैं. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान रेलवे स्टेशन पर सैनिकों की सेवा की तथा मानवीय फ़र्ज़ समझकर उनकी सहायता की. उन्होंने 1967 के दौरान गुजरात में बाढ़ से प्रभावित लोगो की भी सहायता की थी. तबसे अनवरत वो मानव सेवा के लिए समर्पित हैं. आज की कोरोना महामारी के दौरान वे न केवल भारत को वरन विश्व के तमाम उन देशों को सहायता पहुँचाने में लगे हैं जो इस महामारी से जूझ रहे हैं. ऐसे हैं हमारे आज के स्वनाम धन्य प्रधानमंत्री.

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