मोदी जी की जीवन-यात्रा



मोदी जी की सफलता की यात्रा में अनेक अवरोध आये. इनकी जीवन-यात्रा काँटों भरी रही है. उन्होंने पूरी निडरता तथा विश्वास और स्वच्छ मन से सभी अवरोधों को पार किया. उन्होंने देश सेवा की खातिर अपने परिवार का भी त्याग किया.

प्रधानमंत्री जैसे प्रभावशाली पद प्राप्त करने के बाद भी उन्होंने प्रधानमंत्री आवास को ऐसा आवास नहीं बनाया जिसे उनके समस्त परिवार के रहने के लिए उपयोग किया जाये. उनके स्थान पर और कोई प्रधानमंत्री होता वो शायद ऐसा साहस नहीं कर पाता.

मुझे समाचार पत्र पढ़कर हमेशा ये ज्ञात होता रहता है कि वो केवल अपनी माताजी को ही कभी-कभी कुछ दिनों के बाद गुजरात से नयी दिल्ली अपने आवास पर लाते हैं तथा कुछ दिनों के बाद उनकी माताजी अपने दूसरे पुत्र के पास गुजरात वापस चली जाती हैं जहाँ वो स्थाई रूप से निवास करती हैं.

मोदी जी ने अनेक जटिल समस्याओं को सुलझाने के लिए लोक-जाग्रति फैलाई तथा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ जैसी अनेक छोटी-बड़ी योजनायें चलाईं जिससे देश के सैंकड़ो निवासियों को लाभ पहुँच सके.

उनके इतने बड़े पद पर रहते हुए वे अपनी माताजी से फोन पर उनका कुशल-क्षेम लेते रहते हैं. उनके जन्मदिन पर उनके चरण छूकर उनका आशीर्वाद लेना कभी नहीं भूलते. ये उनके सुसंस्कार का परिचायक है. इससे हमें ये सीख मिलती है कि हम चाहे कितने उच्च पद पर क्यों न पहुँच जाएँ हमें अपने माता-पिता का हमेशा वंदन करना चाहिए तथा उनका सदैव कुशल-क्षेम लेते रहना चाहिए. उन्होंने देश के दुश्मनों को समय-समय पर सुधारने का काम किया है जो देश के लिए एक गौरव देने वाला कदम माना जायेगा.


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