2004 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद 10 वर्ष भारत की दुर्दशा



हमारे देश भारत का दुर्भाग्य है कि 2004 में होने वाले लोक-सभा चुनाव में भाजपा की सरकार को हारने के बाद मनमोहन सिंह को देश में एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने का अवसर मिला. इस सरकार के शासन में आने के बाद देश के दुर्दिन प्रारंभ हो गए. सोनिया गाँधी ने स्वम् प्रधानमंत्री न बनकर एक ऐसे कठपुतली व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाया जो 10 साल उनके इशारों पर नाचता रहा. उस समय कांग्रेस पार्टी में प्रधानमंत्री पद के योग्य सिर्फ प्रणव मुखर्जी ही थे. शायद सोनिया गाँधी को उनपर भरोसा नहीं था कि वे उनकी अनुचित बातों को मानेंगे.

इससे पूर्व जब अटल बिहारी वाजपेयी का शासन था तब वो इस मजबूरी के कारण कि उनकी पार्टी बहुमत में नहीं है तथा वो सरकार सहयोगी दलों के कारण सत्ता में है तथा उनके हाथ बंधे हुए थे, बहुत कुछ जनकल्याण के लिए खुद का चाहा न कर सके. मनमोहन सिंह ने सर्वप्रथम 2004 से 2009 तक तथा दोबारा 2009 से 2014 तक देश पर शासन किया लेकिन शायद जहाँ तक मुझे याद है जनकल्याण का कोई ऐसा काम नहीं किया जिसके लिए उन्हें देश में याद किया जाये. उनके शासन काल में इतने घपले-घोटाले हुए तथा देश के सार्वजनिक धन को इतना लूटा गया कि देश के नागरिक त्राहि-त्राहि कर रहे थे. पूरे देश के अधिकतर मतदाताओं नें एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी को शासन करने का सुअवसर प्रदान किया.

जब 2014 में मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने उन्होंने दिन-प्रतिदिन देश को नए-नए तोहफे देना प्रारंभ कर दिया. धारा 370 तथा 35-A हटाना तथा मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की दर्दनाक परम्परा से मुक्ति दिलाना तथा देश में अन्य जन-कल्याणकारी योजनाओं को प्रारंभ कर दिया.

मैं इस लेख के द्वरा ये बताना चाहता हूँ तथा मेरा पूर्ण विश्वास भी है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार हर आने वाले लोक-सभा चुनाव में भारी बहुमत से वापसी करेगी तथा भगवान् के कृपा से नरेन्द्र मोदी ही एक लम्बे अरसे तक देश का नेतृत्व करते रहेंगे.


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